वो मेरे ही अंदर हैं
वो मेरे ही अंदर हैं
जब मैं अकेले चल रही थी तो,
खुदा ने हाथ पकड़ा और कहा
तू अकेले नहीं मैं तेरे साथ हूं।
जिस साथी की तुझे तलाश है,
मैं उन्हीं में से एक खास हूं।
मैंने देखा है तुझे परेशानियों में,
तेरा दिल अकेले-अकेले रोता है।
कोई बात नहीं जिंदगी में,
अक्सर यह सब होता है।
मेरा हाथ पकड़ ले तू भी,
अगर तुझे मुझ पर विश्वास है।
मेरा वजूद छुपा है तुझमें और
वो तेरे ही आस पास है।
गम में चलते-चलते देखा था कि,
परछाइयों में खुदा का साया था।
जब कोई नहीं था साथ देनेवाला,
मेरा खुदा खुद ही पास आया था।
खुशियों का पहर जब आया तो,
पता नहीं कैसे मैंने भुला दिया।
खुद को मैंने अजनबियों के,
बीच में फिर से बुला लिया।
खुशियों का मौसम आया है तो,
हर कोई मेरे साथ हैं।
दुख में नहीं थे ये लोग उस दिन
आज भी सारी बातें याद है।
वजूद ढूंढ रही हूँ फिर खुदा का,
चाहे गली, मोहल्ला या समंदर है।
आज समझ आया जिसे ढूंढ रही हूं,
वह तो आखिर मेरे ही अंदर है।