Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

छत की मुंडेर पे

छत की मुंडेर पे

1 min
14K


कुछ दिये हमने जलाये
हर्ष और उल्लास में
समृद्धि की आस में
दीपावली की बेर पे
छत की मुंडेर पे
 

 

कुछ दिये रोज़ जलते हैं
और बुझ जाते हैं
कभी बालुओं की ढेर पे
कभी हिमालय की उचेर पे
कभी सरहदों की मेड़ पे
ताकि यूँ ही जलते रहें
हर साल दिये
छत की मुंडेर पे

 

कुछ दिये हर मौसम में जलते हैं
खटते हैं
और खो देते हैं कभी खुद को
कभी थोड़े अनाज की ढेर पे
कभी सूखे खेतों की मेड़ पे
कभी बारिशों की हेर में
ताकि यूँ ही जलते रहें
हर साल दिये
छत की मुंडेर पे


Rate this content
Log in