बेबसी
बेबसी
आफ़त में जब जान है
कहते हैं तब भगवान है
ज्यादा मत सोचो प्यारे
इंसान भी एक सामान है
मरते किसानों से पूछो
ये देश कितना महान है
सफेद झूठ का भी त्योहार देखो
सरकार का विकास में रूझान है
चुनते अपने कातिलों को
गणतंत्र फिर भी जवान है
क्या खूब तमाशा है कि
जीतने वाला भी हैरान है
जीने की मियादें दूभर हुई
मरना अब बेहद आसान है
अमीरों की किस्तियाँ उभरीं
गरीबों की जद में तूफान है
कोई कितना बोल पाएगा ऐसे
तलवार की नोंक पे जब ज़ुबाँ है
छत देकर क्या कमाल किया
जब रेत पे टिका हर मकान है
क्यों रोता है यूँ चिल्लाकर तू
अब तो घर के बाहर श्मशान है
पता न मालिक का न नौकर का
यहाँ तो उधार पे ही हर दुकान है
व्यापार की करामात देखो जरा
बेच दिया ये ज़मीं वो आसमाँ है
यहाँ हर चीज़ बिकती है,बेच डाल
ये जनता सचमुच बहुत नादान है