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दीपों का त्यौहार

दीपों का त्यौहार

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दीपावली दीपों का त्यौहार,

बुराई पर अच्छाई की जीत का त्यौहार,

लेकिन जब हम छोटे थे तो

हमारे लिए दीपावली का सिर्फ एक ही मतलब था

ढेर सारी मिठाइयों का त्यौहार।

एक ऐसा दिन जब हमें ढेर सारी मिठाइयाँ खाने को मिलेंगी

और पटाखे, फुलझड़ियां जलाने को मिलेंगे।


आज भी मुझे अपने बचपन की दीपावली की वो सुनहरी यादें याद आती है

तो आँखों में खुशी की एक अलग ही चमक आ जाती है।

दीपावली के दिन हम सब शहर से अपने गाँव जाते थे

और उस दिन पूरा परिवार जब इकट्ठा होता था

तो एक अलग ही रौनक सी लग जाती थी।


फिर सब खेत में जा कर पूजा करते और पटाखे जलाते

दीपावली की खीर और मीठी पूड़ी का स्वाद मानों आज भी जुबान पर है। 

अपने सभी पुराने दोस्तों से मिलना और बचपन के वह किस्से याद करना बहुत ही आनंदमयी होता था।


घर को रंग-बिरंगी लाईट्स और दीयों से सजाते थे,

खिलखिलाते रंगों से सुंदर-सुंदर रंगोली बनाकर एक-दूजे को चिढ़ाते थे,

मेरी रंगोली ज्यादा अच्छी है इसलिए

मैं ज्यादा मिठाई खाऊँगा कितना झगड़ते थे।


दीपावली की उन स्पेशल छुट्टियों में सभी दोस्तों के घर जाते,

गलियों में घूमते-फिरते और कुछ अनमोल यादें बनाते थे,

सारा दिन कैसे उन मस्ती-शरारतों में बीत जाता हम भूल ही जाते थे।

फिर शाम होते ही लक्ष्मी पूजन की तैयारी में जुट जाते थे। 


पूजा के बाद सोन पापड़ी और कचोरी खाते थे

फिर पटाखे, फुलझड़ियां और अनार चलाते थे

याद आती है आज भी बचपन की वो अनोखी दिवाली,

जब सबकुछ भूल कर हम बस मस्ती में खो जाते थे।


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