बेटा और बेटी
बेटा और बेटी
मां के आंचल में दोनों पलते हैं
पिता के लाड में दोनों बड़े होते हैं,
बेटा घर का वंश है,
बेटी घर की अंश है,
बेटी ब्याह कर दूसरे घर को जाती,
बेटा ब्याह कर लाता है।।
बेटा घर की आन है,
बेटी घर की शान कहलाती है,
क्या अंतर है दोनों में,
दोनों ही आदर्शवाद है,
घर को चलाने के लिए बाहर जाता बेटा,
बेटी ब्याह कर पराई हो जाती,
दोनों ही बलिदानी है,
मां बाप की प्रेम की निशानी है,
बेटी होना नहीं पाप है,
ना ही ये अभिशाप है,
जो बेटा ना कर पाए,
वो बेटी कर नाम कमाए,
कहने को दोनों की बातें,
बहुत सरल है बहुत कठिन है,
बेटी को लाड बेटे को प्यार,
ऐसे चलता जीवन संसार,
कहना बहुत कठिन है,
कौन कितना है दमदार,
दोनों ही निस्वार्थ भाव से,
सजाते है अपना घर संसार।