एक पंछी
एक पंछी
उड़ता चल पंछी, कभी तो लहर आएगी
गीत गाती मस्त हवा, आसमान में घुल जाएगी
दूर-दूर तक फैले, ये संसार के छोर
महकते पंखो में भर देते हैं जो़र
हर पल कातिल सी यें निगाहें, हैं किसको ढूंढती
हर एक सफ़र की राह, अपना राज़ हैं गूढ़ती
उम्मीद हैं दिल में, कभी तो मंजिल मिल जाएगी
इंतजार में बैठी ये बाहें, फिर तो खिल जाएंगी
मुसाफिर बनकर तू, कर ले अपनी हर हसरत पूरी
इस अंतहीन यात्रा में, कर ले कम दिलों की दूरी
हे प्रभु शक्ति दें, इस कालचक्र के पहिये चीर दूँ
मन में पीर भक्ति दें, हौंसलों से संसार को नीर दूँ