मुझे कहना नहीं है कुछ
मुझे कहना नहीं है कुछ
मुझे कहना नहीं है कुछ
मगर कहना ज़रूरी है
खलल है ज़ेहन में कैसी
समझना भी ज़रूरी है
ये कहना अब ज़रूरी है
बताना सब ज़रूरी है
ज़माने की बुरी फितरत
बदलना भी ज़रूरी है
खामोशी की ज़ुबान अपनी
उम्मीदों का शहर अपना
अगर हम खुद ठहर जाए
तो बढ़ना भी ज़रूरी है
तुम्हारा हौसला अव्वल
तुम्हारा फैसला काबिल
शहर विरान हो जाए
बदलना भी ज़रूरी है
कभी मंज़िल नही मिलती
कभी मंज़िल बुलाती है
सफर आसान नही होता
निकलना भी ज़रूरी है
तेरी हिम्मत तेरी काविश
तेरी हरकत तेरी कोशिश
बुलंदी पर पहुँचना है
तो चढ़ना भी ज़रूरी है
समझता मैं रहूँ तुझको
बताता मैं रहूँ तुझको
सुनो जब बात तुम मेरी
तो करना भी ज़रूरी है
यक़ीन होता नहीं तुमको
ख़बर देता हूँ मैं तुमको
इरादा मत बदलना तुम
संभलना भी ज़रूरी है
मुझे मालुम है हालत
तेरे चेहरे की हर रंगत
तुझे जाना हैै अब आगे
क़दम बढ़ना ज़रूरी है
पराया तुम मुझे बोलो
यकीन खुद पर ज़रा कर लो
मगर इंसाफ जब चाहो
तो फिर लड़ना ज़रूरी है
मेरी चाहत खुशी तेरी
मेरी हसरत तेरी मंज़िल
मेरा रिश्ता है जो तुमसे
वो कहना भी ज़रूरी है
बताओ क्या तेरा ग़म है
खामोशी क्यों सनम अब है
बुलायेगी तुझे दुनिया
सब्र करना ज़रूरी है।।