ख्वाब
ख्वाब
आज फिर दिल में,
एक आस जगी है,
जो रहता है खयालों में,
वो भी आया होगा कभी।
इन हसीन वादियों में,
सोचा था जिसे आस,
वो तो ख्वाब निकला।
और ऊपर वाला भी,
निकला खूब,
ख्वाबों के ज़रिये,
मेरी आस पढ़ बैठा।
आज फिर दिल में,
एक आस जगी है,
जो रहता है खयालों में,
वो भी आया होगा कभी।
इन हसीन वादियों में,
सोचा था जिसे आस,
वो तो ख्वाब निकला।
और ऊपर वाला भी,
निकला खूब,
ख्वाबों के ज़रिये,
मेरी आस पढ़ बैठा।