ख्वाईश
ख्वाईश
आँखों की मेरी ख्वाईश जानोगे क्या
चेहरा तेरा इनमे समाया है
उलफत से की है ईबादत खुदा की
दुवाओ मे खुद से पहले तुझे पाया है
मेरी उलझें जिस्म को लिपटे हुआ
अनसुलझा तेरा साया है....
आँखों की ख्वाईश मे तेरा साया है......
आँखों की मेरी ख्वाईश जानोगे क्या
चेहरा तेरा इनमे समाया है
उलफत से की है ईबादत खुदा की
दुवाओ मे खुद से पहले तुझे पाया है
मेरी उलझें जिस्म को लिपटे हुआ
अनसुलझा तेरा साया है....
आँखों की ख्वाईश मे तेरा साया है......