Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

"मह-'भू'-ब"

"मह-'भू'-ब"

1 min
7.0K


 

वो इश्क की तरह आएगी,

तेरे जिस्म को चूम जाएगी,

तेरे महबूब का दीदार तुझे करवाएगी,

तुझे नई हीर वो बनाएगी।

 

यही सोचा था ना तूने?

आज तेरी हकीकत मैं खोलता हूं,

तेरे गहरे राज आज मैं बोलता हूं।

 

महबूब के इंतजार में सदियां बिता चुकी,

तेरे चेहरे पर झुर्रियां छा चुकीं,

तू ओढ़नी महबूब की पसंद की सदियों ओढ़कर आज के दौर में आ चुकी,

अरे देख तेरी ओढ़नी पर तो कालिख छा चुकी।

 

तेरे महबूब को तेरी घनी जुल्फों में घनी छांव नहीं मिलती,

कभी देख तेरी जुल्फों में क्या तुझे कभी जंग लगी सफेद राहें नहीं मिलती?

 

मेरी बातें सुनकर तुझे कड़वा तो जरूर लग रहा होगा,

मेरी बातें सुनकर तुझे झटका तो जरूर लग रहा होगा

ये तेरा हाल तेरी ही जायी दुनिया कर गई,

खुद की जिंदगी और तेरी मृत्यु-सेज की तैयारी ये तेरी दुनिया ही कर गई।

 

पर क्या करूं तेरी जिंदगी का सच तो तुझे बताना था मुझे,

मैं तेरा वही महबूब हूँ, तुझे मिलने तो आना ही था मुझे।।

 

                                                         


Rate this content
Log in

More hindi poem from Sumeet Shailia