ऐ साकी
ऐ साकी
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इंतज़ार में जिसके चली गई जिन्दगी आधी;
वो आये और हमें खबर भी न हुई साकी।
रोज जिसकी आहट पे हम सो न सके रात भर;
सुबह जब हुई हमें होश ही न रहा साकी।
एक तो थी तनहाई साथ निभाती जिंदगी भर;
पहलू में अब मेरा साया भी न रहा साकी।
सूफियाना सी बंदगी है और दुआएं उम्रभर;
कोशिश करके भी जाम ख़ाली न रहा साकी।
हम अपनी वफाओं के साथ जिए है 'गिनी' बेखबर;
उनकी राहों में फना होने का अब डर न रहा साकी।