मूल्याँकन
मूल्याँकन
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खरा वही जो स्वंय
करे मूल्याँकन।
इनका उनका नही अपना
झाँकें आँगन।
पत्थर रगड़ कर खोजी
आग तुमने।
जल-जल कर जीवन
गुर रहे अपने ।
इन्सान तो मिल जाते हैं
बिना कपड़ो वाले।
कपड़ो में इन्सान को
न बसते देखा है।
अपने ही कर देते हैं
जफ़ा कई बार।
लगाव बता कर घाव
करते बार-बार।
उम्र भर की सीख धरी
रह जाती है।
जब पैरों तले ज़मीन
खिसक जाती है।
पहेली है जीवन इसे
सुलझा लो।
कुछ दर्द मिटाने का दस्तूर
निभा लो।