शहीदों को नमन
शहीदों को नमन
क्या ख़ूब दिन चुना है दुषटों ने
आतंक अंजाम देने को
प्रेम दिवस की खुशियों को
अश्रु दिवस बदलने को
उनहें लगा अपने दो रक्त
मिला दे इन शहीदों संग
हो जाए ये भी अमर
लाल केहलायें इनके भी रंग
पुलवामा के अमर शहीदों
को नमन हम कर सकतें
लेकिन उनके अपनों का दर्द
कम कैसे हम कर सकतें
मासूमों पर ज़ुल्म करके
क्या पाप तुम्हारें नष्ट होंगें
मरने मारने से जल्लादों
तुमको भी तो कष्ट होंगे