दुनिया चाहे हंसती रहे
दुनिया चाहे हंसती रहे
मैं नहीं चाहता कि दुनिया में कोई सदा दुखी रहे ।
बस एक ही तमन्ना है दिल की हर कोई सदा सुखी रहे।।
दुआयें यही मांगता "रब" से हर शै उसकी याद बनी रहे।
तकलीफें भी गर आयें तो, शीश उसी के दर पर झुका रहे।।
हर घड़ी, हर पल उसी की याद में मन रमा रहे।
मूल- विहीन जीवन से अच्छा ,यह किसी काम आता रहे ।
मन ,चित्त ,वाणी और कर्म से काया सदैव सजग रहे।
प्रभु चिंतन और जाप के सहारे आत्मशांति पाता रहे।।
इसी अतिशय भौतिकवादी युग में, अनुशासन और मर्यादा बनी रहे ।
अनास्था और अधीरता की आँधी से, मानव सदा बचा रहे।।
इस अकेलेपन और अवसाद भरी दुनिया में, तेरा ही सहारा बना रहे ।
हमअज्ञानी, झूठी माया में भटके, ज्ञान का प्रकाश बना रहे।।
हर प्राणी में तुमको ही देखूँ, यही दृष्टि सदा बनी रहे।
" नीरज" तो है आत्म दर्शन को प्यासा, दुनिया चाहे हंसती रहे।।