हम दोनों का मिलन
हम दोनों का मिलन
वो समा गयी है मेरे दिल में
दिलो दिमाग और सपनों में
में खोजता रहता हूँ उसे दिन में
और रात हो जाती है उसे ढूंढने में।
दिल में उठती है एक चुभन
और फिर होने लगता है शोर
में गुमसुम सा बैठ रहता हूँ
उसे याद करके अपने आप को सम्हालता हूँ।
वो कुछ कहना चाहती थी
मुझे मिलना भी चाहती थी
में नादान समझ नहीं पाया
उसकी नजरों का ताग नहीं लगा पाया।
प्यार के तार ऐसे ही जुड़ते हैं
वक्त गुजरने के बाद यूँ ही रुलाते हैं
एक हसीन सा सपना बार बार सामने आ जाता है
मानो कुछ लफ्जों से ही बहुत कुछ समझाता है।
प्यार रटन क्यों लगाए रहता है?
दिल में चुभन और लगन लगाए रखता है
में खो जाता हूँ उन हसीन सपनों में
ऐसा तो तभी होता है जब लगाव सा होता है अपनों में।
उसको भुलाना ही बेहतर होगा
कामकाज में भी मन अवश्य लगेगा
उसकी ये अजब दास्तान है
हम दोनों का मिलन बस आदान प्रदान ही है।
हम दोनों का मिलन।