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Meera Raikwar

Abstract

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Meera Raikwar

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पैगाम

पैगाम

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पैगाम ...पैगाम ही नहीं

जब तक मालूम न हो

कि पैगाम क्या है


पैगाम वजनदार होता है

सुनते ही पैैगाम शब्द

पहुंच जाती है मन की सोच

कयी दिशाओं में

न जाने कौन  सा पैगाम 

आया है


कितनी खुशनुमा खुशियां

गमगीन दुख दर्द 

साथ लाया है या

यूंं  किसी के आने या

किसी के जाने का


पैगाम आया है

जब तक न हो खुलासा

हर अंदेशेे पर मन

डोलता रहता है

अनेेकों रहस्यों को छिपाये

जब  पैगाम आता है


मालुम न हो जाये

तब तक सभी में

रहस्यमयी उत्सुकता 

बनाये रखता है


खुल न जाये जब तक

अंदेशों वाला पैगाम

अपनी अपनी सोच 

अनुसार चेहरे पर

अलग अलग भाव


प्रदर्शित करता रहता है

इसलिए

पैगाम वजनदार अंदेशों

वाला होता है

जिसको जानने का

सभी को इंतजार होता है।


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