कुछ जवाब, तवायफ़ की ज़ुबानी
कुछ जवाब, तवायफ़ की ज़ुबानी
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हर एक की बाहोँ में बिकना, इश्क़ यूँ महफ़िल में बाँटना।
बेरंग हो रात रंगीन करना, दबे होंंठ चीर हरण होने देना।
रोज़ रूह की बोली लगवाना, आसान नहीं हैं।।
यूँ हर हाथोंं ज़िस्म खोना, हर रोज़ बाज़ारू कहलाना।
पल पल पहचान दफ़नाना, हर राह रोज़ बिकना।
तवायफ़ की चादर ओढ़ना, आसान नहीं हैं।।
काज़ल में अश्क़ छुपाना, मजबूर होकर ज़िस्म बेचना।
बिन पैसे ज़िंदा रहना, इस दुनिया में औरत बन रहना।
तवायफ़ बन यूँ रहना, आसान नहीं हैं।।