रिश्तों का बंधन
रिश्तों का बंधन
दुनिया में आते ही हम
रिश्तों के बंधन में बंध जाते हैं।
माँ, बाप, दादा, दादी,
सब ख़ुशी से झूमने लग जाते हैं।
फिर जब हम थोड़ा बढ़ने लगते हैं।
भाई बहन के साथ खेलने
और पढ़ने लगते हैं।
फिर हम थोड़ा और बड़े हो जाते हैं।
नौकरी करते हैं और
अपने पैरों पे खड़े हो जाते हैं।
तब पापा मम्मी सोचते हैं कि
इस का भी घर बसाया जाये।
इसे भी इसके जीवन साथी से
मिलाया जाए।
पति पत्नी का बंधन शायद
ऊपर से ही बन कर आता है।
एक बिल्कुल अनजान व्यक्ति
आपके दिल का मालिक हो जाता है।
फिर आप दोनों अपने बच्चों के
माँ बाप कहलाते हैं।
और जीवन के इस चक्र को
फिर से दोहराते हैं।
पति पत्नी के रिश्ते का आधार
सिर्फ प्यार है।
एक दूसरे पे विश्वास हो तो
खुशियां बेशुमार हैं।
हर रिश्ते का अपना महत्व है,
आपके लिए कोई भी अहम हो सकता है।
ये इन रिश्तों का बंधन ही है जो
हमें आपस में बाँध के रखता है।