जाड़ो का जादुई मौसम
जाड़ो का जादुई मौसम
जाड़ो का जादुई मौसम जब भी आता है
काँपती हुई आवाज़ में कई किस्से सुनाता है
गर सारे किस्से सुनने हैं तो बस यही शर्त है
आखिरी शेर में कही गई बात मानना फर्ज़ है
तो चलिये दोस्तों, आज ये बर्फानी एहसास करते हैं
सिर से पांव तक जमे हुये, कुछ जज़्बात खरोंचते हैं
गुनगुनी धूप की राह, दिनभर जो तकते हैं
तन और मन दोनों ही, यूँ थरथर काँपते हैं
ऐसे सर्द आलम में, इक तुम्हारा एहसास ही है
जो मुझे गर्माहट देता है, खुद में समेट लेता है
जाड़ो का जादुई मौसम जब भी आता है
काँपती हुई आवाज़ में कई किस्से सुनाता है
चाय की चुस्की लाज़िमी है ऐसे मौसम में
नहाने से दूरी बहुत ज़रूरी है ऐसे आलम में
मुँह से भाप का निकलना कुछ ऐसे लगता है
जैसे साँसों की रेल चल रही हो छुकछुक करके
जहाँ एक ओर रजाई से प्यारी चीज कोई नहीं लगती है
वही दूसरी ओर मोबाइल की बैट्री खत्म हो रही होती है
जाड़ो का जादुई मौसम जब भी आता है
काँपती हुई आवाज़ में कई किस्से सुनाता है
गोंद तिल के लड्डू, गुड़ गजक चिक्की मूंगफली
सर्दियों में एक बार तो आईसक्रीम है ज़रूर खानीयह
अलग बात है कि बाद में यह गला बैठ जायेगा
और जब विंटर का हंटर चलेगा तो यह भर आयेगा
जाड़ो का जादुई मौसम जब भी आता है
काँपती हुई आवाज़ में कई किस्से सुनाता है
तो कैसा लगा यह सर्द फ़साना
ठिठुरते लफ़्ज़ों का ताना-बाना
अब नहीं चलेगा कोई बहाना
अब तो पड़ेगा आपको नहाना
यही शर्त है इसे अब निभाना
बाथरूम में तराना यह गाना
जाड़ो का जादुई मौसम है
जाड़ो का जादुई मौसम है