"शतरंज की चाल "
"शतरंज की चाल "
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ज़िंदगी हर मोड़ पे रास्ता बदलती है
शतरंज की एक चाल तख्ता पलट देती है...
क्या करूँ शानो शौकत पे गुरुर..?
हाथों की लकीर ज़िंदगी का
हर ढंग बदल देती हैं ...
ख्वाहिशों पे क्या इतराना इतना
जब की
हर लम्हा...हवा मौसम का रुख पलट देती हैं
ना समझे इंसान... "ज़िंदगी "
ख़ुदा की एक "शतरंज की चाल "
वक़्त रहते इंसान की फितरत ही बदल देती है...