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Diksha Gupta

Crime Drama Tragedy

4.2  

Diksha Gupta

Crime Drama Tragedy

क्यों करते हैं वे ऐसा ?

क्यों करते हैं वे ऐसा ?

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बाबा, तेरी ऊँगली जो छुटी तो डर लगता हैं|

डर लगता हैं,

टॉफ़ी और जलेबी की अपनी लालच से,

नए नए बने अंकल और उनकी चाचानी बंध बातों से|


एसे में अगर, मेरी पसंद एक खौफ़ बन जाए,

तो इतना न सोचना, पर उनसे पूछना

क्यों करते हैं वे ऐसा ?


माँ, मेरी आवाज़ नहीं आती क्या ?

तेरे आंचल का अंबर नहीं हैं यहाँ,

न मरी घुड़िया सिहराने रखी हैं|


इस घर कोई नहीं मुझे उस घर पहुँचाने को,

एसे में अगर, मैं अपना ही घर भूल जाऊं

तो इतना न सोचना, पर उनसे पूछना

क्यों करते हैं वे ऐसा ?


उजाले में आँख नहीं खुलती,

अँधेरा चीख़ और दर्द को यार बनाए बैठा है|

कृष्ण भी अपनी कृष्णा (दौर्पदी) को भूल गए हैं शायद,

जो आज हर घर में रावण राम बना बैठा है|


एसे में अगर, कुछ मंदिर और मस्जिद विरान हो जाएँ,

तो इतना न सोचना, पर उनसे पूछना

क्यों करते हैं वे ऐसा ?


उन भेड़ियों ने नोचा है

मुझे, मेरी रूह को

अपने पंजों तले रौंदा हैं|


इंसानों की आदालत में खड़े तुम,

उन कुत्तों का मज़हब पूछते हो,

एसे में अगर, एक धर्मं इंसानियत भी खत्म हो जाए,

तो इतना न सोचना, पर उनसे पूछना

क्यों करते हैं वे ऐसा ?


इंसाफ़, हक़ीकत में होता है क्या ?

अब फ़र्क नहीं पड़ता|

इज्ज़त की कफ़न अगर मिलती हो

तो ओढ़ा देना|


आने वाले वक़्त में कुछ ऐसा करना,

मेरी बहनों को बचा लेना|

एसे में अगर, तुम मुझे भूल जाओ,

तो इतना न सोचना, पर उनसे पूछना

क्यों करते हैं वे ऐसा ?




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