उदास उदास सा है मन
उदास उदास सा है मन
उदास उदास सा है मन
जाने क्यों जाने क्यों,
कोई महफ़िल नहीं भाती
जाने क्यों जाने क्यों,
कुछ यादें सता रहीं हैं
कुछ अपने याद आ रहें हैं।
नहीं है वो इस दुनिया में
उनकी बातें याद आ रहीं हैं,
नींद में भी हम जाग जाते हैं
जब सामने उनको पाते हैं,
मार रहा है जैसे कोई हमें
और वो हमें सब से बचा रहे हैं।
उदास उदास सा है मन
ये कैसी बेचैनी सी है,
क्यों हम परेशान से हैं
क्या है बात कुछ समझ
नहीं पा रहें हैं।
जी चाहता है रो दें हम
दूर कहीं उड़ जाएँ हम,
पर फ़र्ज़ अपने भुलाएँ कैसे
कर्ज़ अभी और हैं बाकी।