देश मेरा स्वर्ग भूमि है,
देश मेरा स्वर्ग भूमि है,
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देश मेरा स्वर्ग भूमि है,
अमृत जिस देश का पानी है।
जहाँ का हर बच्चा भगत सिंह,
हर बहन झाँसी की रानी है।
आर्य जहाँ के निवासी हैं,
गौरवपूर्ण जिसकी कहानी है।
जहाँ का हर पिता ईश्वरतुल्य,
और हर माता माँ भवानी है।
क्षमाशीलता जिसका उर है,
संस्कृति जिसकी पाणि है।
जहाँ के हर युवक में जोश है,
और बूढ़े में भी जवानी है।
सुख का दरिया जहाँ बहता है,
जहाँ न किसी को क्लेश है।
इतनी भोली जनता जहाँ की,
पत्थर में भी देखती गणेश है।
जहाँ के धर्मों में विभिन्नता है,
पर गंतव्य सभी का एक है।
कितनी पावन धरा है वह,
जहाँ जन्म लिया “अभिषेक” है।