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नई मनुस्मृति

नई मनुस्मृति

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स्त्री आधा स्वप्न है
आधा यथार्थ
सभ्य है मगर
उतनी ही असभ्य
उसका आधा हिस्सा गाँव में
बाक़ी न्यूयॉर्क में
रूढ़ियों की चिता से कुन्दन बन निकलती
छलाँग लगाती उत्तर आधुनिकता के बाज़ार में
देवी है आधी
मगर आधी दानवी
अस्तित्व में ठाठें मारता समुद्र
सिर उठाता मँदरांचल पर्वत
स्त्री में आधी माँ है
आधी वेश्या
आधी नींद
आधा जागरण है
पूर्वार्द्ध में कविता है
उत्तरार्द्ध आलोचना

 


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