ख्वाहिश
ख्वाहिश
कल तुम जा रहे हो
जी चाहता है तुम्हे अपने पास बैठाऊ
कुछ तुम्हारी सुनू
कुछ अपनी सुनाऊ
जी चाहता है तुम्हे पलकों पर बैठाऊ
नीदों में बुलाऊ
सपनो में सजाऊ
तुम्हे जाते देखने की हिम्मत तो नहीं
पर तुम्हारी बड़ी बनने की चाहत भी तो नही
दो बूँद गिरा दूँगी आँचल के पीछे से
क्योंकि रिवाज़ तो यही है
कि तुम्हे हँसते हुए करना है विदा
भले ही जान चली जाए मेरी पीछे से
अगर कभी वहाँ तुम्हे मेरी याद आऐ
तो दिल पर हाथ रख कर
मेरा नाम बोल देना
मुझे यहाँ तुम्हारा सन्देश मिल जाएगा
ये हमारे दिलों की बात है
कोई और न समझ पाएगा
यहाँ रहकर दिनभर तुम्हे याद करुँगी
हिचकी आए तो परेशान न होना
बस प्यार से दिल पर हाथ रख कर
मुझे याद कर लेना
इतना ही काफी होगा मेरे लिए
और कुछ नही माँगती उस रब से
बस ये दुआ है मेरी
तुम्हारे सीने में दिल धड़ाकता रहे
अगर लेनी हो तो साँसे छीन ले मेरी|