ज़िंदगी संवर जाएगी
ज़िंदगी संवर जाएगी
जब भी दोराहे पर ज़िंदगी आ जाती है,
हम वो ही रास्ता चुने जो सही हो तो
ज़िंदगी संवर जाएगी;
वरना ना जाने ये ज़िंदगी कहाँ ले जाएगीI
बस ये हमपर है कि सही गलत की पहचान कर लें,
आज ऐसा ही कुछ हर किसी के साथ हो रहा है,
कभी ज़िंदगी दोराहे पर तो कभी चौराहे पर खड़ी नज़र आती है,
रास्ता हमको मंज़िल हमको खुद तय करनी है,
कोरे कागज पर लिख दी हमने अपनी प्रेम कहानी
और सारी दुनिया में हम मश्हूर हो गएI
राधा-कान्हा की तरह, हीर-रांझा और
लैला-मजनू की तरह
नहीं थी कोई पहचान हम दोनों की अब,
प्रेम दीवानों की तरह मश्हूर हो गए,
अब हमको अपनी प्रेम कहानी को अंजाम तक
खुद ही लेकर जाना है,
आगाज़ तो बहुत अच्छा हुआ था, अंजाम भी
अच्छा हो, उम्मीद ये ही बस हमकोI