वो मिली कभी तो
वो मिली कभी तो
वो मिली कभी तो,
हम भी नजरें मिला लेते हैं,
दौर चले गर बातों का तो,
हम भी मुस्कुरा लेते हैं।
कभी साथ गुजारे लम्हों को,
बैठे-बैठे याद कर लेते हैं,
तो कभी खुशनुमा बने माहौल में,
खुद को भुला लेते हैं।
वो अगर पलकें उठाए तो,
हम भी कुछ बतिया लेते हैं,
कभी साथ-साथ मुस्कुरा लेते हैं,
तो कभी बातों का दौर बढ़ा लेते हैं।
वो मिली कभी तो,
हम भी नजरें मिला लेते हैं,
दौर चले गर बातों का तो,
हम भी मुस्कुरा लेते हैं।
वो जब नजरें मिलाए,
तो हम भी नजरें मिला लेते हैं,
रूठने मनाने के उस दौर को,
हम भी कुछ याद कर लेते हैं।
वो अगर कुछ कहे तो,
हम भी हाँ में हाँ मिला लेते हैं,
कभी उन्हें चुपके से निहार लेते हैं,
तो कभी साथ खाए वादे,
कसमो को याद कर लेते हैं।
वो मिली कभी तो,
हम भी नजरें मिला लेते हैं,
दौर चले गर बातों का तो,
हम भी मुस्कुरा लेते हैं।