कैद
कैद
मन के लालच में जो, तू क़ैद हुआ,
जल्दी रिहाई मिेलेगी नहीं ।
सजा मिल भी जाए ख़ता की अगर
बीता समय आता नहीं।
अपने मनसूबों पर हरपल
तुम लगाम लगाए रखना।
खुद हाथ जला सीखने से अच्छा है,
औंरों के अनुभव से सबक़ लेना।
जो ना रख सका खुद पर ही क़ाबू
ना सही ग़लत की परख रखी।
ना बड़ों का ही अनुसरण किया
ना सलाह ही औंरों की सुनी।
तो, वक़्त के हाथों की तू
कठपुतली बन रह जाएगा ।
पछतावा होगा बस आँखों में
होश में जब तू आएगा।
ले शपथ हर हाल में तू
सच का साथ निभाएगा।
मोह माया के जाल में फँसकर
ना अपना शीश झुकाएगा।
कभी ना अपना शीश झुकाएगा।