संध्या-स्नान
संध्या-स्नान
संध्या बेला स्नान लेना
कुछ विशेष है,
जब हो प्रकाश
अभी उसके शैशव में,
तब स्नान को जाना
और फिर,
तिमिर बूढ़ा होने पर बाहर आना,
कुछ ख़ास है ये
अरे, ये तो पुनर्जन्म
लेने जैसा है,
"आप शुद्ध हो गए !"
जैसा ही
अगर प्रभु भी अभी
धरती पर होते तो
कसम से
वे खुद भी हो जाते
संध्या-स्नान के चाहक !