पगड़डियां
पगड़डियां
ये पगडडियां
जब राह नजर ना आए
हम पगडडियां बनाएँ
अपने को जीत कर हम
दुनिया पर राज पाएं
भुलभुलैया इस जीवन को
पार लगातें जाए
आओं हम पगडडियां बनाकर
आगें बढ़ते जाए
हो रफ्तार धीमी तो क्या
एक दिन मंजिल पाएंगें
हमारीं शंकाओं के बादल
एक दिन छट जाएंगें
दूर हमारीं मंजिल सही
पर इन पगडंडियों के सहारें
हम नैया पार लगाऐंगे.....