तेरे इश्क में
तेरे इश्क में
मैं नींद का टुकड़ा रख दूँ तुम्हारे सिरहाने
तुम ओढ़ लो सुकून की चद्दर
सदियों से जगी आँखों में
टशर है दर्द की।
चूमती है मेरी पलकों को
जब जब मिलाती हूँ
तुम्हारी पलकों से
कोरी करारी मेरी आँखों से
उठाकर
रेत से तुम्हारे ख़्वाबगाह की
ज़मीन में बो दूँ सपने।
नमी छलक रही है पनप उठेंगे
करीब आओ मेरी हसरत के
सितारे भर दूँ तुम्हारे साफ़
आसमान की गोद में।
झिलमिला उठे तमस की रात छंटे
मेरी आगोश की गर्माहट में रख दो
अपना शीत वजूद ऋत बदल जाए
पतझड़ में बहार खिल जाए।
घुल जाओ मुझमें
मैं वार दूँ अपना
सब कुछ तेरे इश्क में
मेरी जाँ चाहे फ़ना हो जाए।