प्रेम
प्रेम
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तुम्हारी छवि और
मेरे रंग में
घुला है,
हमारा प्रेम !
सुनो मन की
भित्तियों को होले-होले
खोलना,
उन पर नाज़ुक सी
मैं लिखी हूँ !