कहानी दर्द की
कहानी दर्द की
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दर्द एक स्त्री का,
अब तलक किसने जाना !
सीने में घुट गई चीखें,
बेफिक्र रहा जमाना !
क्या लिखूँ...
स्त्री की घुटन लिखूँ
या उसके जज्बात लिखूँ
पिंजरे में बंद कैदी का दमन लिखूँ !
या.... उसकी फरियाद लिखूँ !
या....एक स्त्री की जिंदगी की
किताब लिखूँ !
और अंत में लिख दूँ कि..
खत के अंत की तरह. !
कम लिखे को ज्यादा समझना..!
जो लिख नहीं पाई,
उसे मेरा कहा समझना..!