लोरी
लोरी
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सारी ज़िंदगी कम पड़ गई गम को भुलाने के लिए
लोरी थोड़ी रह गई तुमको सुलाने के लिए।
ना पता वक्त का ना पता नसीब का
दूर हो गए वो जो रिश्ता था करीब का
एक हवा के झोंके ने तोड़ा घर गरीब का
तिनके थोड़े रह गए घर को बनाने के लिए।
लोरी थोड़ी रह गई तुमको सुलाने के लिए
नैना जिससे पोंछूँ वो आंचल नहीं है
फिर से कर दूं काले वो काजल नहीं है
जिससे होती बरखा वो बादल नहीं है
खुशियां थोड़ी रह गई तुमको हँसाने के लिए।
लोरी थोड़ी रह गई तुमको सुलाने के लिए।