ओ साथी रे
ओ साथी रे
सर्दी की गरम धूप सा अहसास,
गर्मी की नरम हवा सी मिठास।
तेरी मौजूदगी हवाओं को,
बसंती फूलों सा महकाती रे
ओ साथी रे, ओ साथी रे।
हम सुख-दुख मिलकर बांटते,
कभी कांटो से कलियां छांटते।
हर पल ये प्रेम की रौशनी,
बस यूँ ही रहे गहराती रे
ओ साथी रे, ओ साथी रे।
हमारी छोटी छोटी खुशियों की आखेट,
बने तुम मेरे हमदर्द, प्रिय और सोलमेट।
कैसा बांध दिया ये बंधन,
तुम बने दिया मैं बाती रे
ओ साथी रे, ओ साथी रे।
गा गाकर तेरे गीतो को,
बस अपना मन बहलाती रे
ओ साथी रे, ओ साथी रे।