Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Sunil Maheshwari

Abstract

5.0  

Sunil Maheshwari

Abstract

जीवन की मांग

जीवन की मांग

1 min
378


मुझे आने से पहले

क्यों मार रही हो

माँ

मुझे हँसाने से पहले 

क्यों रुला रही हो

माँ


क्यों हत्यारों के 

किरदार में तुम 

दिखाई दे रही हो !

माँ

क्या मेरी पीड़ा से

अवगत नही 

हो आप 

क्या मासूमियत देख 

मेरी लज्जित नहीं हो

माँ


क्यों ममत्व का गला 

इस कदर घोट रही हो

आप 

क्यों हैवानियत का 

परचम अब लहरा 

रही हो आप,


मुझे भी आने दो 

इस सुंदर जग में 

क्यों पेट को

निर्दयता से

ठोकर लगा 

रही हो आप 

मैं भी बनूँगी 

कल्पना,


हां मैं बनूंगी 

मदरटेरेसा

मैं बनूँगी वैज्ञानिक 

या बनूँगी दूरदर्शना 

हाथ आपका थाम 

मैं सहारा बनूंगी 

बुढ़ापे का

जब सिर दर्द होगा 

आपका तब 


मैं हाथों से दबाऊँगी 

बाल भी होंगे उलझे 

तो फिर मैं सुलझा दूंगी 

पापा को भी चाय बनाकर 

मैं अखबार दे जाऊंगी 

तनिक भी गुस्सा हुए 

अगर तो गाना गा कर 

मनाऊंगी


भाई को भी पढ़ा 

लिखा कर 

काबिल में बनाउंगी 

घर का काम भी 

झट से करके 

मैं ड्यूटी चल 

जाऊंगी।


इतनी सी है 

तमन्ना मेरी 

माँ अर्जी में 

लगा रही 

कर दो न साकार

इरादे मेरे 

मैं दिल से 

साथ निभाऊंगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract