चीं चीं चीं चीं करती है
चीं चीं चीं चीं करती है
चीं चीं चीं चीं करती है,
दाने चोंच से चुगती है,
मुझसे हर रोज़ वो मिलती है,
मेरे आंगन में चहकती है,
अकेले में मगर खिलती है,
भीड़ से ज़रा वो डरती है,
आसमान में हरदम उड़ती है,
घोंसलों की तरफ सिर्फ मुड़ती है,
बच्चों के लिए खाना लाती है,
जाने क्यों नहीं थकती है,
मुझको यह अच्छी लगती है,
क्या तुमको भी अच्छी लगती है?