Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

तुम बहते हो मुझमें,

तुम बहते हो मुझमें,

1 min
346


मेरे मन के भीतर

कण कण में अलक्षित बहते हो

बादलों के जैसे

मैं क्षुब्ध सी रममाण तुझमें बसी हूँ

बरखा के जैसे

उगते प्रहर में खुलते ही चक्षुद्वार

पगरव गुँजे उर के अंदर एक प्यारा सा बवंडर उठे

बजते रहते है मंदिर की घंटीयों से

तुम्हारे खयाल रोज रोज

एक साया मेरी नस नस में

रुह से मेरी छू के मिले दिनभर चले

मेरे साथ साथ

रात को बजते हो चाँदनी की आहट से

उजागर होते हो मेरे अंदर

रौशन खुदा के नूर जैसे

मैं अपलक बस निहारते

घुलती जाती हूँ बहती जाती हूँ

तुम्हारे जादुई रौशनी के साये से लिपटकर

और ये सिलसिला चलता रहता है तुम्हारा मेरे

खून में बहते लहू के जैसे बहते हो तुम

हरदम मुझमें सदियों से दिन रात


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance