प्रेम शिखर
प्रेम शिखर
तुम्हारी आहट सुनने
तुमसे मिलने, बतियाने और
तुम्हें देख, देर तक मौन रहने।
...जैसी कई कोमल काँपती
कामनाओं की अतृप्ति
बहुत उदास कर जाती है मुझे।
मेरी तरह तुम कभी
उदास न होना...।
बहुत डरावनी है ये उदासी।
दम फूलता है, सांसें रुकने लगती हैं।
दिल की धीमी पड़ती धड़कानों से
धमनियों-शिराओं का दौड़ता रक्त
थमने लगता है।
धीरे-धीरे काला अंधेरा
उतर आता है आँखों में।
साथ ही उतरने लगता है
उम्र-भर का मेरा भरोसा
तुम्हारे प्रेम शिखर से।
इस उदासी में
ब्रह्मांड का सारा शोक
सारा दर्द
सारा अंधकार
सारा अकेलापन होता है
असहनीयता की हद तक!
नहीं... नहीं
तुम नहीं सह पाओगे
यह उदासी।
इसलिए हर सुबह की
मेरी पहली प्रार्थना होती है
मेरी तरह तुम कभी उदास मत होना...।