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गाँधी बना गणितज्ञ

गाँधी बना गणितज्ञ

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ऐसा हल निकाला उसने,
स्वतंत्रत्व बराबर हिंसा नहीं।
सभी धर्म को एक कर,
गुणनफल प्राप्त किया जिसने।

फख्र है हमें,
वकालत पढ़कर।
अहिंसा का गणितज्ञ बना
नाज उस पर है हमें।

अच्छा सूत्र था उनका,
कर्ण के लिए लंब बनना पड़ेगा।
आधार स्थायी के लिए
सत्याग्रह ही करना पड़ेगा।

वे नहीं चाहते थे,
भुजाओं से खून बहे,
जिसके परिणामस्वरूप
अपना त्रिभुज न बन पाये।

ऐसा भाग लगाया उन पर,
छोड़ गये वे भारत हमारा।
पुनः, हमें प्राप्त हुआ
सबसे न्यारा भारत प्यारा।


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