मजबूरी
मजबूरी
बचपन के जूने से
जूठी प्लेटें साफ करते हुए
अक्सर उसे देखती हूँ
झांकती हूँ उसकी आँखों में
और हमेशा ही पाती हूँ
उसकी आँखों से चमक
हो गयी है ओझल
क्योंकि आँखों का नहीं
बर्तनों का चमकना जरूरी है
जिंदा रहना है उसे
इसलिए मालिक को खुश रखना
उसकी मजबूरी है.....