यमुना
यमुना
एक समय था
जब प्रदूषण के
कालिय नाग ने
समूची यमुना को
कर दिया था विषाक्त और
यमुना का महाबलशाली भाई
यम भी न उसे
त्राण कोई दे सका
कृष्ण ने
अनोखे नेतृत्व का दिया था तब परिचय
और ब्रजवासियों को साथ ले
चेतना जगाई थी उनमें नदी के प्रति
जो अपने तटवर्ती स्तनों से
शुद्ध दुग्ध के समान
जल उन्हें प्रदान किया करती थी
कृष्ण के अथक पराक्रम से ही
यमुना उस कालिय नाग के
प्रभाव से हुई थी मुक्त
और तब से निरन्तर
अपनी सन्तानों को
शुद्ध पेय जल देने का
करती उपक्रम थी
किन्तु आज की यमुना
जिसमें घनघोर प्रदूषित पदार्थ
प्रतिदिन डाले जाते
आज के मनुष्य द्वारा,
जल उसका
जो था पर्यायवाची जीवन का
उसे ही गन्दगी के
महाविषैले कालिय नाग ने
इस सीमा तक
कर दिया प्रदूषित है
कि माता यमुना
अपने जल की हर बूँद-श्वास
में कराहती प्रतिदिन,
लेती लम्बी साँस,
कौन कृष्ण
इस कलियुग में आऐगा उसे
करने विषमुक्त
और कौन इस भयावह सच का
सामना करेगा कि
दिनोंदिन माँ उसकी
अपनी सन्तानों के
दूषित कर्म के कारण
निरन्तर श्लथ, पीत और
कृशकाय हो रही
देख रही अपने ही
अन्त को
बुझती हुई
और निस्तेज अपनी आँखों से!
अब भी हम
अगर नहीं चेते तो
मृत्यु-देवता उसका
महापराक्रमी भाई यम भी
नहीं उसे बचा सकेगा
उसके दुखदायी अन्त से!