Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

डूंगरपुर

डूंगरपुर

1 min
13.6K


सच में मुश्किल है,

शब्दों मे ढालना,

अनुपम, मनमोहक,

प्रकृति की छटा को,

भावों में बाँधना,

नवांकुर,

नवजीवन बरसाती हवा,

पहाड़ो को हिला रही है,

जीवन की गतिशीलता का,

गीत कानों में सुना रही है।


घनघोर घने ये काले बादल,

प्रकृति को,

हमारी नज़र न लग जाये कहीं,

गीली-गीली महके मिट्टी की खुशबू,

इसके आगे क्यों जाये कोई,

बस समय चक्र थम जाये यहीं।


नत-मस्तक हुए,

दोनों ओर वृक्ष खड़े हैं,

ऊँची–नीची, थोड़ी सीधी,

थोड़ी टेढ़ी सड़के हैं,

या धरती के यौवन की तरुणाई,

अदभूत पक्षी का कलरव ,

सपनों-सी हरियाली है,

शीतलता बरस रही है,

चहुँ ओर निर्मलता छाई है,

धरती और गगन की,

मिलन घड़ी ये आई है।


सारे मानक फीके है अब,

स्वर्ग अप्सरा धरा पर आई है ,

बारिश की बूंदे सुरमई गीत सुनाती है,

या देवो ने स्तुति गाई है,

अनुकीर्ति नहीं है जिसकी,

ऐसी सुंदरता धरा पर छाई है ,

सारे उपमानों को समेट सुंदरता,

डूंगरपुर चली आई है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics