हम
हम
चलो आज कुछ नया सुनाते है।
आपको हमारे साहिब से मिलाते है।।
मैं नटखट चंचल-सी छोरी।
गुस्सा उनको जल्दी आता है।।
मैं पेस्ट्री पित्जा खाती हुं।
वो तो मिठाई खुब खाते है।।
ढलती शाम मुझे अच्छी लगती।
उगता हुआ सुरज उनको भाता है।।
मुझे समुंदर किनारा पसंद।
उनको हरियाले खेत भाते है।।
बहुत बोलती रहेती हुं मैं।
वो मुझे सुनते ही रहते है।।
हर पसंद है अलग हमारी।
देखो कैसे हम दिलवाले है।।