बाराती
बाराती
पहाड़ो पर टेसूरंग बिखेर जाते
लगता पहाड़ ने
बांध रखा हो सेहरा
घर के आँगन में
टेसू का मन नहीं लगता
उसे सदैव सुहाती
पहाड़ की आबों हवा|
मेहंदी की बागड़ से
आती महक
लगता कोई
रचा रहा हो मेहंदी
पीली सरसों की बग़िया
लगती ऐसे जैसे शादी के लिए
बगिया के हाथ कर दिए हो पीले
भोरें -कोयल गाते स्वागत गीत
यूँ दीखता जैसे प्रकृति भी रचाती विवाह
उगते फूल आमों पर आती बहारें
आमों की घनी छाँव तले
पशु- पक्षी बना लेते
शादी का पांडाल
ये ही तो है असल में
प्रकृति के बाराती
नदियां कल -कल कर
उन्हें लोक गीत सुनाती
एक तरफ पगडंडियों से
निकल रही इंसानों की बारात
सूरज मुस्काया
धरती के कानों में धीमे से कहा-
लो आ गई एक और बारात
आमों के वृक्ष तले
फाल्गुन में