मन बावरा जाने कब शांत होगा
मन बावरा जाने कब शांत होगा
मन बावरा रे माने ना माने रे
रोज़ रोज़ ये रुलाये कभी
और कभी हंसाये हमको....
ख्वाब नए नए दिखाए ये
कैसे समझाये इसको हम
हर पल ये करे अपने मन की....
काश मेरी भी सुनले कभी तो
खुशियों से दामन भर जाए
दर्द सब खत्म हो जाये.....
भूल जाये ये उनको जो
दर्द ही दर्द दे जाते है....
क्यों नही भूलता ये
उनको जिनको हम
भूलना चाहते है
मन बावरा रे माने ना माने रे.....
ऐ मन मेरे तू शांत हो जा
ना भटक तू यहां वहां
थोड़ा सा तू और सब्र कर ले....
जिंदगी में अच्छे दिन नही रहे
तो बुरे दिन भी स्माप्त हो जाएंगे
इक दिन तो दुख के बादल छंट जाएंगे....
और खुशियो का सवेरा आएगा
तब तू भी मुस्कुरा लेना
आंसू सब सूख जाएँगे
ऐ मन मेरे तू शांत हो जा....
दिल और दिमाग की जंग
तो तमाम उम्र चलती रहेगी
इस जंग से ना तू घबरा
हिम्मत रख खुशियो से दामन
भर जाएगा
उम्मीद का दामन ना तू छोड़
ऐ मन मेरे तू शांत हो जा......