बचपन और बारिश
बचपन और बारिश
छोटी छोटी बातों में खुश हो जाना
एक चॉकलेट के लिए झगड़ जाना
हर एक शरारत में एक दूसरे का साथ देना
वो इतिहास हो या संस्कृत की शिक्षक से मिल के मार खाना
जब कोई मुश्किल पड़ जाये तो मिल के सामना करना
याद आये वो सब लम्हे
दोस्ती के हसीन पल जो काटे हैं हमने।
हर एक मौसम का था अलग ही मज़ा
सबसे सुंदर बारिश का मौसम
गर्मियों की ताप से उभर के जैसे प्राणों में भर जाये एक नई ऊर्जा।
छुट्टियों का खत्म होना
फिर दोस्तों का जुट जाना
पाठशाला में मस्तियों का आगाज़ होना
बारिश की हल्की बूंदों में नाचना
मिट्टी की खुश्बू से जैसे झूम जाना।
क्या नदी क्या तालाब पानी भर जाना
जैसे उम्मीदों को सच होते देखना
याद आये वो दिन
हर मस्तियों के लिए करना झूठा बहाना
जमे हुए पानी मे कूदना, एक दूसरे को छीटें मारना
बारिश की पानी तन मे गिरना
लगे हैं जैसे कोई विद्युत दौड़ जाना।
कुछ पल कुछ यादें भुलाये ना भूले
बचपन की हर एक मस्ती
झूमते नाचते बारिश के वो दोस्त
फिर लौट के ना आते चाहे मिट जाये हस्ती।