रब रहम कर
रब रहम कर
रब रहम कर
अपने बच्चों पर
क्या क़सूर उनका
जो भटके दर बदर
जीवन भर की कमाई
एक पल में गँवाई
भागे छोड़ अपना वतन
और जान बचाई
सफ़र लम्बा है
कठिन रास्ते हैं
कुछ पता नहीं
मंज़िल कहाँ हैं
हृदय रोता है
ऐसे दृश्य देखकर
बच्चे को समंदर किनारे
दम तोड़ता देखकर
ये सब होता है अमीर
देशों की सीमाओं पर
कैसे गँवारा करता
इनके अंदर का ज़मीर
अपने धर्म की झूठी लड़ाई में
छाटने लगे हिन्दू मुस्लिम और ईसाई में
ये ना सोचा इस बीच में
बन गए इंसानियत के कसाई हैं
रब रहम कर
हमारी दुआ क़बूल कर
और जगा दे इनके अंदर
मुकम्मल ज़मीर