मेरा दिल !
मेरा दिल !
मुझसे ही अजनबियों
की तरह
छुप-छुप कर
मिल रहा
है,
मेरा दिल........
मेरे हर दर्द को
देखकर
बनके धड़कन
मुझमें ही
धड़क रहा
है,
मेरा दिल........
यूँ ही
हर रोज
तेरे आने कि
खबर से
बनके
खुशबू मुझमें
महक रहा
है,
मेरा दिल..........
तेरी याद में
हर रोज
ना जाने
क्यूँ
तिनका -तिनका
बिखर रहा
है,
मेरा दिल...........
तेरी चाहत में
ऐ मेरी
साहिबा
लहू बनके
हर रोज
निखर रहा
है,
मेरा दिल.......... !