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दिल का दर्द

दिल का दर्द

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दिल का दर्द कम होने लग पड़ा ।
तुझको जो आँखों के सामने पा लिया ।।
एक चाँद आसमान में उमड़ा हुआ ।
दूसरा जो सामने बैठा हुआ ।।
कुछ गुफ़्तगू करने के बहाने ।
तुम्हारे पास आने चल पड़ा ।।
देखता रहा मैं जिसकी राह हर दिन ।
आज इंतेज़ार उसका ख़त्म हुआ ।।
जो नहीं किया था इजहार ऐ इश्क़ ।
वही काम आज करने चल पड़ा ।।
दफ़न थी जो बातें दिल में ढेर सारी ।
दिल का भार कम करने चल पड़ा ।।
इंतेज़ार था जो कई वर्षों से मुझे ।
वही तड़प आज कम करने चल पड़ा ।।
दिल तो आज मेरी सुन ही नहीं रहा ।
रमन जो आज तुम्हें अपना बनाने चल पड़ा ।।

----------- रमन शर्मा हिमाचली ।


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